कोटा शैली

Kota Chitra shaili


बूंदी राज्य के राजा राव रतन सिंह के द्वितीय पुत्र माधव सिंह ने 1631 ईस्वी में कोटा राज्य स्थापित किया

राजा भीम सिंह 
  • भीम सिंह के समय में कोटा पर वल्लभ संप्रदाय का आया
अर्जुन सिंह 
  • राजा अर्जुन सिंह के समय में राधा कृष्ण व हाथियों की लड़ाई के चित्र विशेष रूप से निर्मित किए गए
अजीत सिंह और छत्रसाल सिंह 
  • राजा छत्रसाल के समय में भागवत पुराण (राजकीय संग्रहालय कोटा) तथा ढोला मरू का चित्रण हुआ
  • गुमान सिंह
  • गुमान सिंह के समय का प्रमुख कलाकार डालू था ।
  • गुमान सिंह के समय में रागमाला का चित्रण किया गया।
उम्मेद सिंह
  • हेमराज और गुमानी राम जैसे कलाकार उनके समय में कार्य कर रहे थे 
  • उमेश सिंह को शिकार का विशेष शौक था इसीलिए उनके समय में शिकार संबंधी दृश्य अधिकतर बनाए गए ह
राम सिंह
  • राम सिंह के समय में जयपुर तथा कंपनी शैली का चित्रों का प्रभाव आने लगा और यहीं से यह शैली धीरे-धीरे मृतप्राय होने लगी

 कोटा शैली के प्रमुख चित्र

  • पुष्टमार्गी संप्रदाय से संबंधित बल्लभोचंद्रिका तथा गीता पंचमेल ग्रंथो का चित्रण कोटा शैली में 1861 ईस्वी में हुआ
  • कोटा में देवता जी की हवेली में उत्कृष्ट भित्ति चित्र देखे जा सकते हैं

कोटा शैली के प्रमुख चित्रकार

  • गोविंद 
  • लालचंद 
  • रघुनाथ दास 
  • लक्ष्मी नारायण

कोटा शैली के चित्रों की विशेषताएं


  • कोटा शैली के चित्रों में सघन वन संपदा दिखाई पड़ती है
  • कोटा शैली में शिकार संबंधी दृश्य अधिक बने हैं 
  • कोटा चित्रों में हरा लाल सुनहरी रंगों का प्रयोग अधिक हुआ है
  • कोटा शैली 1952 ईस्वी में प्रकाश में आई
  • मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा माधव सिंह 1631 को भेंट स्वरूप हाड़ौती का एक हिस्सा मिला जो कोटा का लाया
  • कोटा में वल्लभ संप्रदाय से संबंधित भी चित्र बने हैं
  • कोटा में लघु चित्रों के अतिरिक्त भित्ति चित्र भी मुख्य रूप से बनाए गए हैं
  • कोटा में रेखा सौंदर्य इतना नहीं दिखता जितना की अन्य राजस्थानी शैलियों में
  • कोटा शैली की काफी विशेषताएं बूंदी शैली से मिलती हैं


 

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