सिगिरिया की गुफाएं
सिगिरिया की गुफाओं का संबंध बौद्ध धर्म से रहा है मौर्य राजवंश के प्रसिद्ध राजा अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध वृक्ष की शाखा लेकर श्रीलंका धर्म के प्रचार के लिए भेजा था सिगिरिया की गुफाओं की शैली अजंता के चित्रों से मिलती-जुलती है। यह गुफाएं matale जनपद में पड़ती हैं जो राजधानी से 165 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इन गुफाओं का निर्माण महाराज कश्यप (477/495 ई)ने पांचवीं शताब्दी ईस्वी में कराया था।
सिगिरिया की गुफाओं का बौद्ध ग्रंथ महावंश में उल्लेख उपलब्ध है। 180 मीटर ऊंची ग्रेनाइट की पहाड़ी को काटकर बनाई गई है। गुफाओं तक पहुंचाने के लिए सिंह मुख से निकलती हुई 1200 सीढ़ियां बनाई गई हैं इसीलिए इन्हें लायन रॉक भी कहा जाता है।
सिगिरिया गुफा की खोज एवं प्रतिलिपियां
सिगिरिया की गुफाओं की खोज ब्रिटिश फौज के अधिकारी major Jonathan Forbes ने 1930 में की थी।
1889 ईस्वी में मुरे नाम के कलाकार ने इन चित्रों की प्रतिलिपियां बनाई जो वर्तमान में श्रीलंका के पुरातत्व विभाग में सुरक्षित हैं।
नोट
यूनेस्को सिगिरिया की गुफाओं को 1982 ईस्वी में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
सिगिरिया का प्रसिद्ध चित्र अप्सरा है
सिगिरिया गुफा के चित्र
सिगिरिया में कुल 6 गुफाएं प्राप्त हुई हैं जिनमें से दो गुफाओं में ही चित्र मिलते हैं प्रथम गुफा में चार नारी आकृतियां हाथों में पुष्प लिए स्तूप पूजा के लिए जा रही हैं दूसरी गुफा में 17 महिलाओं के चित्र मिले हैं यह कृतियां लंबी, दुबली पतली, वक्षस्थल बड़े, कटी भाग पतला बनाया गया है बनाया गया है बनाया गया है स्त्रियों के मस्तिष्क पर सुंदर मुकुट एवं गले में माला, हाथों में चूड़ियां बनाई गई हैं कुछ आकृतियों को ब्लाउज पहने हुए भी बनाया गया है कमर से नीचे साड़ी बांधी हुई है आकृतियों के नीचे बदल बनाकर स्वर्ग लोक से संबंधित करने का करने के प्रमाण मिलते हैं यहां का अप्सरा चित्र अत्यधिक प्रसिद्ध है
सिगिरिया की चित्रण विधि
सिगिरिया की गुफा चित्र गली भित्ती पर बनायें गए हैं जबकि अजंता की आकृतियां सूखी भित्ती पर निर्मित की गई थी सिगिरिया में नीले रंग का प्रयोग नहीं दिखाई पड़ता है जबकि यहां पर लाल हरा काला पीला सफेद आदि रंग प्रयुक्त किए गए हैं
एक टिप्पणी भेजें