बोलती तस्वीर अंतिम यात्रा
प्रसिद्ध कलाकृति प्रसिद्ध कलाकृति अंतिम यात्रा में अवनींद्र नाथ ठाकुर ने अपने जीवन के उन पलों को भावनात्मक रूप से प्रकट किया है जो उन्हें रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु के समय अनुभव हुआ था वह जीवन पीड़ा इनके चित्र में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है 19वीं शताब्दी के अंत में अवनींद्र नाथ ठाकुर ने भारत में लगातार लोकप्रिय होती जा रही ब्रिटिश एकेडमिक शिक्षा पद्धति और तेल माध्यम को चुनौती देने का कार्य किया और उस समय की एकेडमी के अथवा यथार्थवादी कला परंपरा को नकारा तथा उसके सम्मुख नए सौंदर्यशास्त्र के प्रतिमान स्थापित करने का प्रयास किया भारतीय लघु चित्र शैली मुगल और जापानी वास तकनीक से काफी प्रभावित थे
अवनींद्र नाथ ठाकुर ने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण कलाकृतियों का निर्माण किया जिनमें से यात्रा का अंत भी एक विशिष्ट कलाकृति रही है अवनी नाथ ठाकुर की इस कलाकृति में अभिव्यंजना की एक नई भाषा दिखाई पड़ती है इस कृति में एक ऊंट को दिखाया गया है जो लंबी दूरी पर ले जाया जा रहा है उस उसके ऊपर लगे गए मुझसे वह नीचे की तरफ दबता हुआ चला जा रहा है नाजुक रेखाएं भावनात्मक सामग्री की तीव्रता चमकदार रंगों का संयोजन एवं धुंधली रंग योजना दिखाई पड़ती है यह गुण यात्रा के अंत चित्र को अत्यधिक उत्कृष्ट बनाते हैं
अंतिम यात्रा चित्र एक नजर में
- Title journeys end
- Creator Abanindra Nath Tagore
- date Created 1913
- Size 210X150 cm
- Medium Tempora on Paper
- Collection National gallery of modern Art
अवनींद्र नाथ ठाकुर ने इस चित्र में अपने दुख दर्द को इस प्रकार से संयोजित कर दिया है कि वह भले ही ऊंट की पीड़ा हो परंतु उनके जीवन का खालीपन निराशा कर्तव्यों का निर्वाहन एवं आशा विनपथ आदि भाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं कलाकार का यह सबसे महत्वपूर्ण चित्र रहा है यात्रा के अंत चित्र का निर्माण 1913 ईस्वी में किया गया जो वर्तमान में आधुनिक राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा नई दिल्ली में संग्रहित है
Mahtvapurn jankari
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