आधुनिक भारतीय मूर्ति चित्र कार रामकिंकर बैज की कहानी
Ram kinkar baij
भारतीय आधुनिक मूर्तिकला के जनक कहे जाने वाले रामकिंकर बैज का जन्म 1906 में बंगाल के बांकुरा जिले में जुगीपाड़ा गांव में हुआ था इनकी शिक्षा शांतिनिकेतन से हुई यहीं पर ही मूर्तिकला विभाग के अध्यक्ष नियुक्त हुए बैज ने आरंभिक काल में जल रंगों में बंगाल शैली से प्रेरित होकर लघु चित्र बनाए किंतु बाद में तेल चित्रों को भी निर्मित किया व्यक्ति चित्र, आलेखन, भवनों तथा प्राकृतिक दृश्यों को चित्रित किया उनका जल रंग कार्य विनोद बिहारी मुखर्जी से अधिक साम्य रखता है जबकि उनके तैल चित्र में प्रभाववादियों के सामान, पाल सेजान का अंतराल व्यवस्था घनवादियों की तत्व रचना प्रदर्शित होती है
जन्म 1906 जुगीपाड़ामृत्यु 1980 कोलकाताशिक्षा सांतिनिकेतन
रामकिंकर बैज को आधुनिक भारतीय मूर्ति कला की वास्तविक शुरुआत करने वाला कलाकार माना जाता है नाग जी पटेल, सुब्रह्मण्यम, रामचंद्रन सभी रामकिंकर बैज कृतित्व और व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित थे रामकिंकर बैज पर देवी प्रसाद राय चौधरी और फ्रांसीसी मूर्तिकार रोंदे का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है लेकिन उनकी कला में सदैव जमीनी हकीकत का सरोकार दिखाई पड़ता रहा रामकिंकर ने बीसवीं सदी शताब्दी के तीस के दशक में शांति निकेतन की कला के व्याकरण को लगभग तोड़ते हुए आधुनिक भारतीय मूर्तिशिल्प की दुनिया बदल दी रामकिंकर बैजअपने का स्टूडियो को मंदिर की संज्ञा देते थे
रामकिंकर बैज ने मूर्तिशिल्प के निर्माण के लिए किसी आलीशान घर को न चुनकर तपती दोपहर की तेज रोशनी में सीमेंट, कंकरीट आदि से अपने बड़े-बड़े मूर्ति शिल्पो के द्वारा अपनी कल्पनाओं को रूप प्रदान किया शांतिनिकेतन में पढ़ने वाला शायद ही कोई ऐसा छात्र रहा हो जिस पर किंकर दा प्रभाव न पड़ा हो
रामकिंकर बैज एक सफल मूर्तिकार के साथ-साथ एक कुशल चित्रकार के रूप में भी जाने जाते हैं यह स्वयं को बंगाल स्कूल के सेंटीमेंटल से बहुत अलग रखा घनवाद अभिव्यंजनावाद जैसी पश्चिमी आधुनिक चित्र शैली से भी उनका अपने ढंग से एक लगाव था जलरंग, तैल रंग, प्रिंट, रेखांकन आदि सभी माध्यमों में इन्होंने खूब कार्य किया राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के पास रामकिंकर बैज के कई महत्वपूर्ण चित्र हैं रामकिंकर बैज ने कभी भी रचना सामग्री की परवाह नहीं की उन्हें जो मिला उसी के माध्यम से अभिव्यक्त करते गए
एक टिप्पणी भेजें