Kala Sansthan aur Kala Kendra

            कला  संगठन और केन्द्र 

      आधुनिक समय में पुरातन परंपराएं टूट रही थी नई परंपराएं जन्म ले रही थी कलाकार भी इसी उहापोह से गुजर रहा था उसके सामने बंगाल शैली की थोथी अनुकृत को तोड़ने का प्रयास कर रहा था तो वहीं अपनी कला में पश्चिम का दबाव भी अनुभव कर रहा था ऐसे में कुछ कलाकारों ने मिलकर ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया जहां पर वह स्वतंत्र रूप से अपने विचारों का आदान प्रदान कर सके तथा चित्रों का प्रदर्शन भी आयोजित कर सकें

         आधुनिकता की अंधी दौड़ में कहीं पर भारतीय पुरातन मान्यताएं दम तोड़ने लगी थी उनका स्थान नवीन मान्यताएं ले रही थी पर कलाकार इन पुरातन मान्यताओं को यूं ही मरते हुए नहीं देखना चाहते थे और ना ही पश्चिम की अनुकृति कर ही जीना चाहते थे वह तो बस अपने आसपास के जीवन के अनुभव को अपने चित्रों में व्यक्त करना चाहते थे स्वतंत्र होकर अपना सृजन करना चाहते थे जिस पर किसी प्रकार का कोई दबाव ना हो वह अपना हो निजी हो अपने देश की आत्मा का प्रतिनिधित्व करता हो



Industrial Art society 1854

     इस कला संस्थान की स्थापना 1854 ईसवी में कोलकाता में राजेंद्र जितेंद्र मोहन टैगोर तथा न्यायाधीश प्राप्त द्वारा की गई कालांतर में या सोसायटी गवर्नमेंट कॉलेज आफ आर्ट एंड क्राफ्ट कोलकाता के रूप में सामने आई

Bombay art society Mumbai 1888

             इस आर्ट्स आईटी की स्थापना 1888 में मुंबई में हुई इसका उद्देश्य जनसाधारण में कलाओं के प्रति जागृति उत्पन्न करना है तथा कलाकारों के लिए एक प्रदर्शनी स्थल की व्यवस्था करना है यहां पर अमृता शेरगिल, महादेव वी धुरंधर, के के हेबर, के एच आरा के चित्र प्रदर्शित हो चुके हैं वर्तमान में यहां पर हार्ड मोटिवेशन फिल्म शो नियमित रूप से आयोजित होते रहते हैं 

इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट कोलकाता

               इस सोसाइटी की स्थापना 1907 ईस्वी में कोलकाता पश्चिम बंगाल में हुई थी इसका प्रथम कार्यालय गवर्नमेंट स्कूल ऑफ आर्ट कोलकाता था इसके प्रथम अध्यक्ष लॉर्ड किशनर तथा अवनींद्र नाथ टैगोर सचिव थे गगनेंद्र नाथ टैगोर ने भी इसकी स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई थी इस सोसाइटी में नन्दलाल, असित कुमार हलदर ने सक्रिय भूमिका निभाई इस सोसाइटी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय कला को यूरोपी प्रभावों से मुक्त कराना था यहां पर वाद विवाद, भाषण एवं अन्य परंपरागत भारतीय पद्धतियों के विषय में सिखाया जाता था 

 Art society of India Mumbai

             7 अप्रैल 1918 को, लगभग 60 कलाकार मुंबई के गंधर्व महाविद्यालय में एकत्रित हुए, एक संगठन का उद्घाटन करने के लिए जो भारतीय कलाकारों और भारतीय कला को बढ़ावा देगा और द आर्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की स्थापना की गई थी। स्थापना के बाद से एसएल हल्दांकर, एमके परांडेकर, श्री बी.वी.तालिम, माजोशी, वी.पी. कर्मकर, अम्माली, एम. एफ. पीठावाला, जीकेम्हात्रे, जी.पी. फर्नांडीस जैसे जाने-माने भारतीय कलाकार समाज से जुड़े रहे।

ऑल इंडिया फाइन आर्ट एंड क्राफ्ट सोसायटी नई दिल्ली 1925

All India fine art and craft society की स्थापना में शारदा चरण उकील, वरदा चरण उकील तथा रनदा चरण उकील आदि उकील का महत्वपूर्ण योगदान है इसकी स्थापना 1925 ईस्वी में इंडियन हाउस लंदन को सुसज्जित करने के उद्देश्य की गई थी इस सोसाइटी की प्रथम प्रदर्शनी वॉइस रिगल पैलेस वर्तमान राष्ट्पति भवन में की गई यह संस्थान कलाकारों को कला रत्न कला, भूषण तथा कला श्री पुरस्कार से पुरस्कृत करती है वर्तमान इस सोसाइटी ने पंचकूल, हरियाणा में अपना स्थानीय सेंटर भी स्थापित किए हैं all India fine art and craft society रूपलेखा तथा आर्ट न्यूज नाम से 1928 से कलाओं पर अपने प्रकाशन निकाल रही है यह संस्था वर्तमान में भी कलाओं को बढ़ावा देने के लिए लगातार सक्रिय भूमिका निभा रही है और कई प्रदर्शनियों का भी आयोजन कर रही है जिसमें युवा कलाकारों को एक मंच भी प्रदान किया है
बिरला अकैडमी आफ आर्ट एंड क्राफ्ट कोलकाता 1967
बिरला अकैडमी आफ आर्ट एंड क्राफ्ट कोलकाता की स्थापना 1967 ईस्वी में कोलकाता पश्चिम बंगाल में की गई थी इसका मुख्य उद्देश्य वस्तुओं का संरक्षण व संकलन और उनका प्रदर्शन करना था यह प्रदर्शनी देश के जाने-माने कलाकारों की कलाकृतियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करती है इसके द्वारा आयोजित जीनीयस आफ रामकिंकर बैज प्रदर्शनी काफी महत्वपूर्ण रही है
वेबसाइट https://www.birlaart.com/
Mahilaye Parikh centre for the visual arts Mumbai 1990
इस कला संस्थान की स्थापना 1990 ईस्वी में मुंबई में की गई जय एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था है इसका कार्य कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देना है
भारत भवन भोपाल
भारत भवन भोपाल की स्थापना 13 फरवरी 1982 ईस्वी को हुई थी इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था यह भवन दृश्य और प्रदर्शन कलाओं के बीच एक संवादात्मक माहौल बनाने के लिए निर्मित किया गया था या समकालीन अभिव्यक्ति, विचार, खोज और नवाचार के लिए एक जगह प्रदान करता है भारत भवन, ललित कला, साहित्य, रंगमंच, नृत्य और संगीत में समकालीन दृश्य में कुछ नया और सार्थक योगदान देने की तरफ तत्पर है और इनसे जुड़े कलाकारों को उचित वातावरण भी प्रदान करता है इसमें हमारे गांव कस्बा और जंगलों में बनाए जाने वाले कुछ स्थाई घर भी हैं
भारत भवन के स्थापत्य कार वास्तुकार चांस कोरियर थे 
Wings of Bharat bhavan
भारत भवन को कई उप भागों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है ल
 Roopankar - museum of fine art 
Rangmandal - a repertory
Vagarth  -  Central off Indian pottery 
Anhad  - centre of classic and folk music
Chhavi - centre of classic cinema Nirala srujanpeeth

 Kala bhavan
कला भवन की स्थापना शांतिनिकेतन में रवींदनाथ टैगोर द्वारा 1919 ईस्वी में की गई कोलकाता के शोरगुल से दूर प्राकृतिक वातावरण में निर्मित कला केंद्र भारतीय कला के विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है यह संस्थान जिसे रवींदनाथ टैगोर द्वारा शुरू किया गया सांस्कृतिक परिवेश और आधुनिकतावाद को इसने आकार दिया यहां पर नंदलाल बोस, विनोद बिहारी, मुखोपाध्याय, राम किंकर बैज और उनके  समकालीन कलाकारों द्वारा इसे आगे बढ़ाया गया यहां पर नवीनता को खुला दिल से स्वीकार किया तथा कलाकारों को प्रदर्शनी कछ भी उपलब्ध कराए गए वर्तमान में भी यह संस्था लगातार प्रगति पथ पर आगे बढ़ रही है

Bharat Kala bhawan Varanasi
भारत कला भवन की स्थापना 1920 ईस्वी में गोदौलिया में भारत कला परिषद के रूप में हुई थी जो 1929 ईस्वी में काशी नागरणी सभा में स्थानांतरित कर दिया गया इसका नाम बदलकर भारत कला भवन रख दिया गया 1950 में संग्रहालय बनाकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का हिस्सा बना दिया गया है 1962 ईस्वी मैं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलल नेहरू ने भारत कला भवन वाराणसी का उद्घाटन किया
 भारत कला भवन में सिंधु सभ्यता, प्रागैतिहासिक काल मिनिएचर पेंटिंग तथा कई प्रकार के दुर्लभ शास्त्र स्वतंत्रता से संबंधित वस्तुएं तथा समकालीन कला कृतियों का एक लंबा संग्रह है

Jawahar Kala Kendra Jaipur
लोक कला, शहरी कला, आदिवासी कला एवं समकालीन कला में सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से इस कला संस्थान की स्थापना की गई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे विभिन्न कला रूपाकारों को परिभाषित करने तथा जनसाधारण तक ले जाने का श्रेय प्राप्त है यहां पर शिल्प मेले, दुर्लभ दर्शनीय, नाटक, नृत्य, नृत्य नाटक आदि आयोजित होती रहती हैं इस कला संस्थान की स्थापना जयपुर में 1993 ईस्वी में हुई थी

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