Bengal school of art
कोलकाता कला विद्यालय ने भारतीय कला की दिशा और दशा को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया यहां से निकले हुए कलाकार देश के अन्य भागों में जाकर कलाओं को आधार प्रदान किया उद्योग धंधों में प्रशिक्षित कलाकारों की मांग को देखते हुए निजी लोगों द्वारा वैज्ञानिक तरीके से कला प्रशिक्षण के लिए स्कूल आफ इंडस्ट्रियल आर्ट की स्थापना 16 अगस्त 1854 को गरनहाट चितरपुर पश्चिम बंगाल में की गई
- School of industrial art 16 अगस्त 1854
- Government College art of craft Kolkata 1864
- संबद्धता Kolkata Vishwavidyalaya Kolkata
आगे चलकर सरकार ने इसे अपने अधीन ले लिया और इसका नाम परिवर्तित कर 1864 में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट कोलकाता कर दिया गया सरकार ने भारतीय कला संग्रहालय कोलकाता के पास के भवन में ही इस विद्यालय को हस्तांतरित कर दिया गवर्नमेंट कॉलेज आफ आर्ट एंड क्राफ्ट के प्रथम प्रधानाचार्य H H लॉक (Henry Hover Loche) को नियुक्त किया गया कोलकाता कला विद्यालय का सिलेबस इंग्लैंड की रॉयल अकैडमी आफ आर्ट के आधार पर निश्चित किया तथा एक कला दीर्घा की भी स्थापना की
ई बी हैवल का मद्रास कला विद्यालय से 1896 ईस्वी में कोलकाता कला विद्यालय में हस्तांतरण हुआ यहीं से यह विद्यालय भारतीय कला के उत्थान की पृष्ठभूमि तैयार होने लगी है ई बी हैवल ने अंग्रेजों द्वारा रॉयल अकादमी के पुराने पद्धति के सिलेबस का पुरजोर विरोध किया और तत्कालीन गवर्नर की अनुमति से कला दीर्घा में लगे हुए अंग्रेजी पद्धति के चित्रों को बेचकर उनके स्थान पर देशज परंपरा से संबंधित चित्रों को लगाया और सिलेबस में भारती कलाओं को भी जगह दी है ई बी हैवल भारतीय कला के प्रशंसक भी रहे हैं
ई बी हैवल और अवनीद्र नाथ ठाकुर से मिलकर इस कला विद्यालय को ऊंचाई पर पहुंचाया इनके सानिध्य में असित कुमार हलदर, क्षितिंद्र नाथ मजूमदार, के वेंगटप्पा, शैलेंद्र डे, समरेंद्र नाथ गुप्त, शारदा चरण उकील, नंदलाल बसु, सुधीरंजन खस्तगीर, मनीषी डे जैसे कलाकार प्रशिक्षित होकर देश के अलग-अलग कोने में गए तथा गवर्नमेंट कॉलेज आफ आर्ट एंड क्राफ्ट, कोलकाता विश्वविद्यालय से संबंधित है
Government college of art and craft कोलकाता की संकाय
- 1 पेंटिंग
- 2 इंडियन पेंटिंग
- 3 मॉडलिंग स्कल्पचर
- 4 ग्राफिक एंड अप्लाइड आर्ट
- 5 टैक्सटाइल डिजाइन
- 6 प्रिंट मेकिंग
- 7 डिजाइन वुड एंड लेदर
- 8 सेरेमिक आर्ट एंड पॉटरी
- 9 प्रिंट मेकिंग
- 10 हिस्ट्री ऑफ फाइन आर्ट
- 11 लैंग्वेज एंड लिटरेचर
पाठक्रम
- स्नातक स्तर पर BFA,
- परास्नातक स्तर पर MFA (painting, Indian painting, graphics and applied, printmaking आदि विषय)
- 2005 से पीएचडी प्रोग्राम भी प्रारंभ किए गए हैं
कार्य
कोलकाता कला विद्यालय ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का एक कला विद्यालय जहां पर प्रदर्शनी, विशेष व्याख्यान, फिल्म स्क्रीनिंग, कार्यशाला का आयोजन होता रहता है देश-विदेश के कला मर्मज्ञ कलाकार एवं कला प्रेमी आकर यहां के वातावरण को मनमोहक बनाते हैं
कोलकाता कला विद्यालय का योगदान
Government College art of craft Kolkata कला विद्यालय भारत के प्राचीन विद्यालय में से एक रहा है 1854 मैं यह विद्यालय इंडस्ट्रियल स्कूल ऑफ आर्ट नाम से प्रारंभ हुआ जो 1964 ईस्वी में गवर्नमेंट कॉलेज आर्ट आर्ट एंड क्राफ्ट के नाम से भी जाना गया इस कला विद्यालय के स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में ऐसे कलाकारों को तैयार करना है जो औद्योगिक गतिविधियों में काम आ सके कोलकाता कला विद्यालय ने भारतीय कला के पुनर्जागरण का प्रतिनिधित्व किया और भारतीयों को अपनी कला के महत्व से परिचित कराया इस प्रयास में ई बी हैवल और अवनींद्र नाथ टैगोर का योगदान महत्वपूर्ण रहा है इन्होंने भारतीय कला के इतिहास पर कई बहुमूल्य पुस्तके लिखकर लोगों को समझाया कि भारतीय कला किस प्रकार से श्रेष्ठ है अवनींद्र नाथ के प्रयासों के द्वारा ही भारत के अन्य कोनों में इनके शिष्य गए और भारतीय कला के महत्व को प्रतिपादित किया इस कला विद्यालय ने भारतीय जनता से अपना सीधे जुड़ाव बनाया भारत माता चित्र पुनर्जागरण काल का प्रतिनिधि चित्र है इसका निर्माण और अवनींद्र नाथ ठाकुर ने किया था
इस प्रकार हम देखते हैं गवर्नमेंट कॉलेज आर्ट ऑफ क्राफ्ट कोलकाता ने भारतीय कला के योगदान में महत्वपूर्ण योगदान दिया तथा भारतीयों की सोई हुई आत्मा में पुनः प्रकाश का संचार किया और यहां से निकले हुए कलाकारों ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में जाकर कला की धारा को और अधिक प्रज्वलित किया यह कला विद्यालय वर्तमान में भी फल फूल रहा है और देश की कलात्मक गतिविधियों को बढ़ा रहा है
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