मनीषी दे (1909-1966 )
daughter of the soil |
डे साहब का कलात्मक परिवार में जन्म हुआ मनीषी दे का पालन-पोषण रवीन्द्रनाथ ठाकुर की देख-रेख में हुआ था। उनके बड़े भाई मुकुल दे और बहन रानी चन्दा बचपन के साथी थे और दोनों ही प्रतिभाशाली चित्रकार थे। चित्रकला के उनके प्रथम शिक्षक अवनीन्द्रनाथ ठाकुर थे। बाद में शान्ति निकेतन में उन्होंने नन्दलाल बसु से शिक्षा प्राप्त की फिर भी अपने विद्रोही तथा फक्कड स्वभाव के कारण वे उनके अन्धअनुयायी नहीं बन पाये। उन्होंने अपने कार्य को कभी भी गम्भीरता से नहीं लिया। चित्रकला उनके लिये एक प्रकार का खिलवाड़ थी और केवल 'मूड' में आने पर ही चित्र बनाते थे। उनके विभिन्न चित्रों में विभिन्न शैलियों के दर्शन होते है। टाटा परिवार के उनके मित्रों ने उन्हें व्यापारिक कला की ओर प्रोत्साहित किया फलतः उन्होंने टाटा, रेलवे तथा कई कपड़ा मिलों के लिये अनेक सुन्दर विज्ञापन बनाये। विज्ञापन तथा डिजाइन के क्षेत्र में उन्होंने नये प्रतिमान स्थापित किये। उन्होंने विभिन्न प्रकार की नारियों के उत्फल्ल सुकोमल रूपों में अपार मोहकता भर दी है। कुछ समय तक वे बंगलौर में भी रहे थे।
मनीषी डे अपने विषय में कहा है कि "कला का शौक तो बचपन से ही मेरे खिलवाड़ के रूप में रहा। लकड़ी या मिट्टी के खिलौने, कागज को बड़े प्यार से सजाना और भूमि पर खड़िया, मिट्टी, कोयला आदि की सहायता से विविध प्रकार की आकृतियाँ बनाना ही मेरा खेल था अवनीन्द्रनाथ टैगोर के सानिध्य में आने के पश्चात मेरी कला में एक निर्णायक मोड़ आया जिससे सौंदर्यआत्मक मूल्य और कला तत्वों का मेरी कला में समावेश हो सका और वह अर्थवान बन सकी"
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