अब्दुल रहमान चुगताई
- जन्म 1894 लाहौर
- मृत्यु 17 जनवरी 1975 लाहौर पाकिस्तान
- शिक्षा मेयो कॉलेज आफ आर्ट
- शिक्षक मेयो कॉलेज आफ आर्ट
अब्दुल रहमान चुगताई मुगल एवं राजस्थानी परंपरा के कलाकार थे जिन्होंने लघु चित्रकला को एक समकालीन परिवेश में परिष्कृत कर नया रूप प्रदान किया इनकी शैली में फारसी शैली का भी प्रभाव दिखाई देता है फिर भी कलाकार की कुशलता ने नए आयाम गढ़े हैं चुगताई की रेखांकन और रंग योजना काफी महत्वपूर्ण थी इनकी शैली पर चीन जापान अजंता मुगल एवं राजस्थानी शैली का प्रभाव भी दिखाई पड़ता है नंदलाल बसु ने अब्दुल रहमान चुगताई के चित्रों की प्रशंसा करते हुए लिखा रेखाएं कितनी महीना और कोमल है जैसे कमलनाल के रेशे हो
मोहम्मद अब्दुल चुगताई का जन्म 2 सितंबर 1894 ईसवी में लाहौर वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था कलाकारी इनको परंपरा से ही प्राप्त हुई थी मेयो कॉलेज आफ आर्ट लाहौर से कला में विशेष शिक्षा प्राप्त की इस समय कला विद्यालय के प्रधानाचार्य समरेंद्र नाथ गुप्त थे लियोनेल हेल्थ ऑफ द ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता प्रेस में इन्हें फोटो लिथोग्राफी में प्रशिक्षण के लिए भेजा यहीं पर इनकी मुलाकात कला गुरु अवीनंद्र नाथ ठाकुर तथा पुनरुत्थान के अन्य कलाकारों से हुई चुगताई ने अपनी विदेश यात्रा के समय छापा कला की विधियों का विशेष अध्ययन किया
चुगताई ने वाश पद्धति में बने चित्रों में अपारदर्शी रंगों का प्रयोग किया है आकृतियों की मुद्राएं भावपूर्ण एवं सौंदर्य से युक्त हैं रंग संयोजन कलाकार की कुशलता की पराकाष्ठा को दर्शाता है इसीलिए इन्हें रंगों का सम्राट भी कहा जाता है चुगताई ने चित्रकारी के अतिरिक्त एचिंग, डिजाइनिंग, आर्किटेक्चर, कैलीग्राफी, फोटोग्राफी, टैक्सटाइल डिजाइनिंग, फोटोग्राफी लिथोग्राफि में भी कार्य किया है
अब्दुल रहमान चुगताई को पाकिस्तान का राष्ट्रीय कलाकार माना जाता है 1961 में पाकिस्तान की स्वतंत्रता के अवसर पर पांच स्टांप टिकट सेट तैयार किए जिनकी काफी प्रशंसा की गई पाकिस्तानी टेलीविजन कॉर्पोरेट के लिए लोगों का डिजाइन भी तैयार किया
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