शारदा चरण उकील
- जन्म 14 नवम्बर 1888 विक्रमपुर ढाका बांग्लादेश
- मृत्यु 21 जुलाई 1940 दिल्ली
- शिक्षा बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट
- गुरु अवींद्र नाथ टैगोर
- पुरुस्कार 1930 - 31 वायरसराय गोल्ड कप, 1940 ऑल इंडिया फाइन आर्ट एंड क्राफ्ट सोसायटी नई दिल्ली
- शिक्षक 1912-17 गैरीपुर असम,1918 दिल्ली आर्ट कॉलेज, 1926 सारदा उकील ऑफ आर्ट दिल्ली
- पत्रिका रुपलेखा
शारदा चरण वकील का जन्म 1888 ईस्वी में विक्रमपुर ढाका बांग्लादेश में हुआ था बंगाल स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर अपना रुख देश की राजधानी की तरह किया यहां पर 1926 में शारदा चरण वकील स्कूल ऑफ आर्ट की स्थापना की भारत विभाजन के साथ पंजाब क्षेत्र से आए कलाकारों से पहले उकील कला बंधु ही यहां की कला गतिविधियों को बढ़ाया करते थे इससे पहले दिल्ली में मुगल शैली से संबंधित कलाकृतियां बनती थी उकील साहब ने वाश शैली में पेंटिंग बनाने प्रारंभ किया
शारदा चरण वकील की शैली यद्यपि वास थी फिर भी सदैव प्रयोगवादी कलाकार बने रहे उनकी शैली में रोमांटिक प्रभाव दिखाई पड़ता है इनकी शैली पर ईरानी और मुगल शैली का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है शारदा चरण उकील सदैव अपनी कला शैली से निजस्व की भावना को बचाए रखा एक प्रयोगवादी कलाकार की तरह सदैव नवीनता के लिए व्याकुल दिखे शैली की नवीनता ही विषय को और अधिक प्रभावशाली बना देती है यह इनकी चित्र प्रक्रिया का प्रमुख अंग है
शारदा चरण वकील ने ऐतिहासिक और पौराणिक विषय पर अधिकतर चित्र बनाए हैं बुद्ध और राधा एवं कृष्णा के प्रसंग पर आधारित अपनी तूलिका से प्रतिक्रिया व्यक्त की है विषय का चुनाव आम जीवन का था पर प्रतिक्रिया दार्शनिक मूल्यों से परिपूर्ण थी कलाकार ने चित्रों में व्यंजना की एक ऐसी कोमल और सुमधुर प्रभावपूर्ण भाषा का निर्माण किया है जो व्यक्ति के अंतर मन में भाव जागृत करने में सफल होती है दर्शक को परम सुंदरता की ओर ले जाती है तथा प्रस्तुति और उसमें निहित दार्शनिक आध्यात्मिक मूल्य से परिचित कराती है
शारदा चरण उकील के ऊपर बुद्ध का प्रभाव बाल्यकाल से ही पड़ा जो जीवन पर्यंत बना रहा उन्होंने स्वयं कहा था जब मैं बालक था तभी से बुद्ध से सहज लगाव हो गया बड़ा होकर भी अभी तक उस प्राथमिक आकर्षण का विश्लेषण नहीं कर सका बुद्ध की जीवन साधना त्याग मानव कल्याण विराट स्वरूप जो संसार के सभी दुखों को दूर करने को तत्पर हो कुछ इसी प्रकार की व्यंजना शारदा चरण उकील के चित्रों में दिखाई देती है नायक नायिका के माध्यम से भी कलाकार ने पीड़ा दुख विशाल उल्लास हर्ष एवं विभिन्न विधियों की सुंदर प्रस्तुति है जिनकी धूमिल वर्णिका तथा स्पष्ट रेखाएं और अधिक रहस्यमय बना देती हैं संदेश शीर्षक चित्र में एक गोपी कृष्ण की आंखों को निहार रही है कृष्ण को बादलों द्रशाय गया हैं कृष्ण और गोपियों के मध्य श्रेष्ठ प्रेम का परिचायक है शारदा चरण उकील ने अपना दृष्टिकोण कला के प्रति स्पष्ट करते हुए कहा अगर कोई यूरोपीय कलाकार किसी वृक्ष को चित्रित करता है तो वह वृक्ष की शाखाएं पत्तियां हुबहू वैसे ही चित्रित करता है जैसे वृक्ष में होती हैं इसके विपरीत अगर कोई भारतीय कलाकार उसी पेड़ को चित्र करता है तो वह पत्ती या ताना बनाने के साथ साथ वह उसमें आत्मा का भी बोध कराता है
ruplekha-s c ukil |
शारदा चरण उकील ने तूलिका पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया जिनके माध्यम से अपने जीवन के अनुभव को रेखाओं और रंगों की सहायता से व्यंजनात्मक भाषा का विकास किया तो दूसरी तरफ शब्दों के माध्यम से लेखनी से भी सशक्त अभिव्यक्ति के दर्शन कराए हैं दिल्ली में रूपलेखा पत्रिका का संपादन किया है जो आज भी आल इंडिया फाइन आर्ट क्राफ्ट सोसायटी नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की जा रही है
नोट
1925 light of Asia नामक आधारित प्रेम सन्यास फिल्में शुद्धोधन का किरदार निभाया था इस फिल्म के निर्माता Frenz Osten और himanshu rai थे
पेंटिग
शारदा चरण उकील ने जीवन के अंतिम समय में श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित 31
चित्रों की एक वृहद संख्या तैयार की थी जो श्री गोपाल जी मंदिर बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के मंदिरों के लिए बनाए गए थे
Bahut hi achha likha hai sir thank you
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