रवि शंकर रावल 1892-1977
A bridge between Gujrat and the Revivalist movement by Esther David
भारतीय चित्रकला के इतिहास में रविशंकर रावल उन कलाकारों की श्रेणी में आते हैं जो बंगाल स्कूल से इतर अपनी कला शैली का विकास कर सकें रविशंकर रावल पत्रकार, चित्रकार, कलासमीक्षा भी थे Esther David ने रविशंकर रावल को बंगाल शैली और गुजरात कला के मध्य का सेतु मानते हैं कलासमीक्षा की बारीकियां ई वी हैवेल से सीखी रविशंकर रावल का जन्म 1892 में भावनगर गुजरात में हुआ था इनके पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे परंतु रावल की बचपन से रुचि चित्रकला में थी अपने सपनों को साकार करने के लिए रविशंकर रावल ने जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में प्रवेश लिया अकादमिक शैली में कार्य करने लगे तथा स्वयं को कला जगत में स्थापित किया आजीवन कला की सेवा करते हुए इस कलाकार का 1977 मे निधन हो गया
रविशंकर रावल रावण ने आरंभिक दौर में तेल रंग पद्धति में महापुरुषों के व्यक्ति चित्र बनाना प्रारंभ किया धीरे-धीरे इन्होंने भारतीय कला का अध्यन किया और अपनी स्वतंत्र शैली का विकास किया इन पर अजंता, राजा रवि वर्मा और अवींद्रनाथ ठाकुर तथा रविंद्र नाथ ठाकुर का विशेष रुप से प्रभाव पड़ा रविंद्र नाथ ठाकुर की गुजरात यात्रा के पश्चात रावल की गुजराती गुजराती संस्कृति से जुड़ाव और प्रखर हो गया यही से इनकी शैली में स्थिरता आनी प्रारंभ हो गई रविशंकर रावल ने भारतीयता की खोज के लिए ahmedabad-vadodara मुंबई,पुणे,अजंता, कोलकाता आदि स्थानों का विस्तृत भ्रमण किया रावल ने आरंभिक काल में पेन पेंसिल तथा विभिन्न सामग्री के माध्यम से रेखा चित्र का निर्माण किया जो इनकी चित्रकला का आधार भी रहे
- जन्म 1 अगस्त 1892 भावनगर गुजरात
- मृत्यु 9 दिसंबर 1977 अहमदाबाद गुजरात
- शिक्षा j j school of arts mumbai
- पत्रिका कुमार, बिशवी सदी (आर्ट डायरेक्टर)
- आत्मकथा ma kala na pagran
- पुरस्कार पदम श्री 1965, ललित कला अकादमी फेलोशिप
बंगाल स्कूल के कलाकारों से प्रभावित होकर रावल ने अपने घर पर गुजराती चित्रकला संघ स्थापित किया सी एन कॉलेज आफ आर्ट अहमदाबाद के अध्यक्ष के रूप में इन्हें नियुक्त किया जहां पर इनके मार्गदर्शन में कन्नू देसाई जैसे फिल्मकार और डिजाइनर, वी सांताराम जगमोहन मेहता फोटोग्राफर, बशीलाल वर्मा चकोर कार्टूनिस्ट, शांति शाह भित्ति चित्रण, हीरालाल खत्री व्यक्तिचित्र निर्माण में प्रसिद्ध थे इन कलाकारों ने कला की अलग-अलग विधाओं में कार्य किया
रविशंकर रावल ने 1938 में महात्मा गांधी के आमंत्रण हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन के लिए पंडालों को सजाने में नंदलाल की मदद की थी इनकी विषय वस्तु लोककला से प्रेरित थी
1915 में पत्रकार hajji Mohammad Alarakhiya के साथ मिलकर visami sadi ( the twentieth century ) के के लिए आर्ट डायरेक्टर के रूप में कार्य किया 1924 में रविशंकर रावल ने चित्रकला मूर्तिकला स्थापत्य कला एवं संस्कृति को समर्पित एक कला पत्रिका अहमदाबाद से प्रकाशित की जो कुमार नाम से जानी गई
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