असित कुमार हल्दार
असित कुमार हल्दार आधुनिक चित्रकला के एक श्रेष्ठ चित्रकार थे जिन्होंने भारतीय परंपराओं को आगे बढ़ाया असित कुमार हल्दार का जन्म 10 सितंबर 1890 ईस्वी को कोलकाता पश्चिम बंगाल में हुआ था आपके पिता एक कलाकार थे इसी कारण से आप को कला विरासत में प्राप्त हुई हल्दार जी की पारंपरिक शिक्षा मूर्ति निर्माता जदुनाथ पाल और बक्केश्वर पाल के सानिध्य में हुई तत्पश्चात बंगाल कला विद्यालय में 1906 में प्रवेश लिया यहां पर श्री अवनीन्द्र नाथ के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की अवनीन्द्र नाथ के सानिध्य में रहकर चित्रकला की कई बारीकियां सीखी तथा भारतीय परंपरागत कला के विषय में भी काफी ज्ञान अर्जित कर लिया यही कारण था कि शिक्षा पूर्ण करने के बाद असित कुमार भारतीय कला के एक महान कलाकार के रूप में स्वयं को स्थापित कर सके शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात रवींद्र नाथ टैगोर के आग्रह पर 1911 ईस्वी में कला भवन सांतिनिकेतन में अध्यापन का कार्य करने लगे तथा 1923 में जयपुर कला विद्यालय एवं 1925 से 1945 तक लखनऊ कला विद्यालय में प्राचार्य के पद पर कार्य करते रहें अपने जीवन काल का अंतिम समय लखनऊ में ही व्यतीत किया लंदन के प्रसिद्ध वास्तुशिल्पी लियोनार्ड जेनिंग्स के कोलकाता आने पर उनसे शिल्पकला की शिक्षा प्राप्त की असित कुमार का 13 फरवरी 1964 में स्वर्गवास हो गया
असित कुमार हल्दार के जीवन से सम्बंधित तथ्य
- जन्म - 10 सितंबर 1890 कोलकाता पश्चिम बंगाल
- म्रत्यु - 13 फरवरी 1964 लखनऊ
- शिक्षा - बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट
- अघ्यापन - लखनऊ स्कूल ऑफ़ आर्ट
- व्यवसाय - चित्रकार, साहित्यकार
असित कुमार हल्दार की शैली
हल्दार अवनीनाथ टैगोर की देखरेख में संपन्न हुई थी यही कारण था कि उन पर बंगाल स्कूल का भी प्रभाव पड़ा परंतु असित कुमार हल्दार ने जल्द ही अपनी शैली विकसित कर ली आरंभ में बहुत बड़े-बड़े भित्ति चित्रों के चित्रकार के रूप में जाने गए इन्होंने इसके लिए रेशम लकड़ी तथा अन्य माध्यमों का भरपूर प्रयोग किया सम्राट जार्ज पंचम के कोलकाता आगमन पर उनके स्वागत के लिए बनाए जाने वाले शामियाने को फ्रेस्को तकनीक से सुसज्जित किया विदेश भ्रमण के दौरान आपने अपनी शैली में कुछ बदलाव महसूस किए परंतु भारतीय परंपरा से स्वयं को दूर न कर सके यही कारण था इनकी शैली में भारतीय विषय और मुगल अजंता का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है
SITA IN ASHOKA GROVE |
समय के साथ हल्दार जल रंग, तेल रंग, टेंपरा तथा अन्य माध्यमों में कार्य किया और एक नवीन पद्धति का विकास किया जो Lucquner technique या Lascsit techniques के नाम से जानी गई
असित कुमार हल्दार के चित्रण के विषय
हल्दार के बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे यही कारण है उन्होंने चित्रों में परिस्थितिजन्य व्यजना उत्पन्न करने में महारत हासिल कर लिया था रविंद्र नाथ टैगोर ने असित कुमार हल्दार के विषय में लिखा था कि तुम केवल चित्रकार ही नहीं बल्कि कवि भी हो यही कारण है कि तुम्हारी तूलिका से रस धारा बहती है इनकी शैली को गीतात्मक शैली भी कहा जाता है इन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं, रामायण, पौराणिक आख्यान एवं साहित्य ग्रंथों मेघदूत, ऋतुसंहार, उमर खय्याम तथा आदिवासी महिलाओं बच्चों, बुजुर्गों और तत्कालीन प्रसिद्ध महानुभाव के जीवन पर आधारित भी चित्र बनाएं हैं
dancing apsara |
असित कुमार हल्दार के चित्र
- अकबर और बुढ़ापा
- चौराहे पर अंजाना
- सफर बारिश के दिन
- झरना और प्रकृति
- द स्पीड ऑफ स्ट्राम
- spirit of nature प्रकृति की आत्मा
- daily bread रोजी रोटी
- swing and song
- Median in love प्यार में धोखा
- mother मां
- The procession जुलुस
- Sudy of the black princess
- कुणाल और अशोक
- कृष्ण और यशोदा
- अल्हड़ यौवन
- सह अस्तित्व
असित कुमार हल्दार शिक्षक के रूप में
the negro princess |
सम्मान
- 1941 ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित किया
- 1959 राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के सदस्य बने
असित कुमार के द्वारा लिखी गई पुस्तक
इंडिया एट ए ग्लांस, Our heritage in art, art and tradition,
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