भीमबेटका की गुफाएं
BHIMBETKA KE CHITRA
भीमबेटका की गुफाएं मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से बस या व्यक्तिगत साधनों से दक्षिण की तरफ 45 किलोमीटर दूर चलना पड़ता है यहां पर ठहरने के लिए राज्य सरकार की तरफ से उत्तम व्यवस्था की गई है
BHIMBETKA में शैलाश्रयों की संख्या
भीमबेटका में 750 शैलाश्रय पाए गए हैं जिनमें से 500 में चित्र विद्यमान है वर्तमान में दर्शकों के लिए क्रम संख्या 1 से लगाकर 15 ही खोले गए हैं
BHIMBETKA की खोज
भीमबेटका गुफा की खोज उज्जैन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर ने 1957/58 में की थी उनकी इस खोज और प्रागैतिहासिक चित्रों पर किए गए अध्ययन के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया
भीमबेटका गुफा का संरक्षण
11 अगस्त 1990 ईस्वी में राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया तथा 9 जुलाई 2003 को यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया
1976 में स्वतंत्र भारत में प्रकाशित यशोधर मठपाल के लेख में भीमबेटका के चित्रों को 10 स्तरों में बांटा गया है
- प्रथम स्तर में बड़े आकार के पशु अंकित किए गए हैं
- द्वितीय स्तर में सांभर चीतल वृषभ अंकित हैं तथा प्रथम और द्वितीय दोनों में कत्थई रंग का प्रयोग किया गया है
- तीसरे स्तर पर नैसर्गिक चित्रण हुआ है जैसे दौड़ते, भागते, आखेट करते आदि
- चौथे स्तर पर आकृतियों में शैली बद्धता आ गई है तथा ताम्र वर्ण का प्रयोग किया गया है
- पांचवी स्तर के चित्र ज्यामिति प्रभाव से युक्त हैं
- छठे स्तर के चित्रों में मानव को पशुओं के सहचर के रूप में अंकित किया गया है जो गेरू और सफेद रंग से अंकित है
- सातवें स्तर में योद्धाओं का चित्रण किया गया है जो धनुष, बाण, तलवार, ढाल आदि धारण किए हुए है
- आठवें स्तर के चित्र सातवें स्तर के समान है किंतु शैली में भिन्नता दिखाई देती है
- नवें स्तर के चित्रों में नारंगी तथा लाल रंग प्रयुक्त किया गया है चित्र देखने पर रेखाचित्र जैसे प्रतीत होते हैं
- 10 वें स्तर पर लिपियों के लेख हैं जिनके ऊपर किसी किसी प्रकार का चित्रण नहीं मिलता है
भीमबेटका के चित्रों का विषय
भीमबेटका के कलाकारों का प्रमुख विषय आखेट ही रहा है परंतु समय के साथ आदिमानव ने पशुओं को पालना भी सीख लिया था सहचर के रूप में भी दिखाया गया है साथ ही दैनिक जीवन से संबंधित चित्र भी अंतिम समय में बने हैं
नोट
भीमबेटका कपनुमा कुछ चित्र प्राप्त हुए हैं जिन्हें क्यूपिल्स भी कहा जाता है यह मानव द्वारा निर्मित प्रथम चित्र या प्रतीक चिन्ह माना जाता है
भीमबेटका में प्रयुक्त रंग
भीमबेटका के कलाकार ने चित्रों के निर्माण में खनिज रंगों का प्रयोग किया है इन रंगों का निर्माण पत्थरों को पीस किया जाता था बंधेज के लिए जानवरों की चर्बी का प्रयोग किया जाता था प्रमुख रगों में हरा, लाल, गेरुआ, सफेद आदि हैं
Bhimbetka ke Chitra निर्माण का उद्देश्य
पूजा, जादू टोना एवं आखेट आदि उद्देश्य रहे होंगे परंतु इतना सत्य है इन चित्रों को देखकर ऐसा लगता है जैसे यह शिलाचित्र साक्षात अपनी गौरव गाथा हमें सुना रहे जो कुशल चितेरों का उत्तम सृजन हैं
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