मानव सदैव अपने जीवन को आनंद और सुख में बनाने के लिए प्रयासरत रहा है जब वह पत्थरों के बीच रहता था तब उसने प्रकृति सुलभ जो भी वस्तुएं प्राप्त हुई उसी के अनुसार अपने जीवन को ढाला जैसे उसके ज्ञान में वृद्धि हुई वैसे वैसे उसकी दिनचर्या भी बदलती गई मानव का अधिकांश समय भोजन एकत्र करने में व्यतीत होता था जहां पर उसका साथ सामना शक्तिशाली और भयंकर आकार वाले जानवरों से होता था जो देखने में किसी दूसरी दुनिया के उसे लगते होंगे जिनकी शक सेवा भयभीत होकर उनमें ईश्वरी शक्ति की कल्पना कर रहा होगा
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