देखो दारू आई है अपने साथ खुशियां लाई है
बहुत हुआ अब लड़ना भिड़ना आओ मिलकर पीते हैं
अपने टूटे सपनों को मिलकर अब हम सितें हैं....
तुम विश्वास निराला लाती हो एहसास नया कराती हो
जीवन को भर देती हो नव रंगों से साक्षात स्वर्ग के दर्शन करवाती हो
कितने गुण गाउ तेरे ये समझ नहीं अब आता
जब से आई हो मेरे जीवन में तब से जीवन मंद मंद मुस्काता है..
देखो जब तुम आती हो रात सुहानी कर जाती हो
मिल जाता है सब कुछ मुझको पहचान निराली दे जाती हो
देखो दुनिया तुमको झूठा बोले पर मुझको सच्ची लगती हो
कोई अपना माने या ना माने पर मुझको तुम अच्छी लगती हो..
जिस महफिल में तेरा आना होता है वहां की शान निराली हो जाती है
रोम रोम खिल जाता है प्यास पुरानी हो जाती है
तेरा मनमोहक यौवन सब पर छा जाता है
जिसको भी देखो बस वो तेरा हो जाता है
दुनियादारी छूट गई मेरी अब तुझमें ही डूबा रहता हूं
सांसे जब भी थमने लगती है तुझसे ही खुद को सींचा करता हूं
जब आगे का कुछ नहीं सूझता इन आंखों से
तो तेरी चौखट पर आकर मन्नत मांगा करता हूं...
इसको देखा उसको देखा सब कुछ देख लिया हमने
फिर भी ना जाने आपस में हम क्यों लड़ते रहते थे
जब से तुमको देखा लड़ना लड़ाना सब भूल गए हम
तेरी यादों ही में झूम गए हम...
अब तो मिल बैठकर आपस में ही पीते हैं
दूर हो गए सारे गिले शिकवे आपस में मिलकर जीते हैं
सच ही कहते हैं तेरी महिमा में दारू
तू सबके दुख हरती है सबको अमरत देती है...
तू सर्वस्व निछावर कर देती है अपने भक्तों पर
तेरी महिमा को अब तक समझ ना पाया था
अपने दर पर आने वाले सारे भक्तों का मान रखा तूने
सब को साथ लिया सब ने विश्वास किया
सबका कल्याण किया तूने
तू किसी से भेदभाव नहीं करती है
सब है तेरे बालक ये मान लिया तूने
यह जान लिया पहचान लिया हमने....
अब तो जब तक जीना है मदिरालय में ही जाकर पीना है
जीवन को अब तो बस तेरी ही गोद में बैठकर जीना है
देखो दारू आई है अपने साथ खुशियां लाई है.......
हम पैमाने नाप कर नहीं पीते जमाने को देखकर नहीं जीते
डूबना ही है हमको तो गहराई देखकर नहीं डूबते ..
ऐसा जाम दे साकी जो प्यास बुझा दे मेरी
दिल भले ही टूट गया हो पर आत्मा जगा दे मेरी
यह दारू नहीं है बूंदे हैं अमृत की
किसी रोज पीकर तो देखो
संवर जाएगी जिंदगी
किसी रोज इधर आकर तो देखो
हसरतें भी जवान हो जाती हैं कभी इसे लगा कर तो देखो
बूढ़े भी नवयुवक हो जाते हैं कभी इसे पिला कर तो देखो
जहां मैं भले ही बदनाम हो गई हो गैरों के करम से
कभी झूमती बोतल को लड़ाकर तो देखो
यहां पर न कोई बड़ा है न छोटा न कोई गरीब है न अमीर
जो सभी को मिलाकर रखें वही तो जाम है
Bhut sahi
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंयथार्थ दृश्य
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