Artsit Ganesh Pyne
कोलकाता में जन्मे गणेश ने कोलकाता कला विद्यायल से शिक्षा प्राप्त की देश की आजादी के बाद के कलाकारों में अपनी कला शैली एवं विषयवस्तु से एक अलग पहचान बनाई हैं इस बाजारवादी संस्कृति से अलग अपना जीवन एक सामान्य नागरिक की तरह व्यतीत करते हुए कला को देशज परिप्रेक्ष्य में स्वीकार किया तथा उसको रेखा रंग के बंधन में बंधते हुए दृश्य रूप में वर्तमान सामाजिक स्थिति पर व्यंग किया गणेश पाइन पर अवनींद्र नाथ पाल क्ली हाल्स आदि से विशेष रूप से प्रभावित थे एक वार्ता में गणेश पाइन ने कलाकार का आजादी से नाता जोड़ते हुए कहा था अवनींद्र नाथ द्वारा निर्मित भारत माता के चित्र बंगाल में सक्रिय रुप से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया इसी प्रकार पिकासो का नाजियों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ चित्र बनाकर अपना विरोध प्रकट किया
- जन्म 11 जून 1937 kolkata
- मृत्यु 12 मार्च 2013 kolkata
- शिक्षा goverment college of art and craft kolkata
गणेश पाइन का अधिकाश जीवन कलकत्ता में व्यतीत हुआ वह यात्रा करना पसंद नहीं करते थे फिर भी उनके चित्रण विषयों पर लोक कथाओं लोकगीतों काव्य और यथार्थ जीवन का व्यापक प्रभाव दिखाई पड़ता है उन्होंने जिंदगी के अनुभवजन्य पक्ष को अपने चित्रों में स्थान दिया है गणेश भाई कई वेटबर्ता में कह चुके हैं मोची और भिखारी के चित्रों को देखने पर क्रमशः एक के चेहरे पर किसी दार्शनिक जैसे भाव तथा दूसरे के चेहरे पर कवि जैसे भाव स्पष्ट तौर पर दिखाई देते हैं इन्हीं विशेषताओं के कारण इन्हें कलाकारों का कलाकार या दार्शनिकों का दार्शनिक भी कहा जाता है
गणेश पाइन प्रारंभ में जल रंग इंक से चित्र बनाना प्रारंभ किया था आगे चलकर टेंपरा इनका प्रसिद्ध माध्यम बना अभिव्यंजनावाद शैली में टेंपरा माध्यम से कैनवास पर जादुई दुनिया या परीलोक के समान चित्रण के लिए जाने जाते हैं
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