अमृता शेरगिल

     महिला संघर्षों को नया आयाम देने वाली कलाकार अमृता शेरगिल 
अमृता’ क्या इस नाम को पर्याय कहा जा सकता है ,मानसिक रूप से सशक्त, स्वतंत्र, स्वच्छंद,स्त्री का ? मेरे हिसाब से बिल्कुल। 
 आज 30 जनवरी अमृता शेरगिल का 108वाँ जन्मदिन। एक चित्रकार कलाकार के रूप में उनका परिचय शब्दों का मोहताज नहीं है ।
  स्वयं से प्रेम करना अपनी इच्छा और विचार के साथ जीना ‘अमृता’ का कलाकार होने के अतिरिक्त अन्य पहलू है ,शायद यही पहलू उनकी छोटी सी ज़िंदगी को जीवन दे गया। 
  क्या ही समर्पण रहा होगा उनका अपने कलाकर्म के प्रति कि 28 वर्ष के छोटे से जीवन में निर्मित कृतियों में वे अमर हो गईं। एक स्त्री और उस पर कलाकार, वे सही मायने में भारत की ‘आधुनिक’ महिला कलाकार थीं। ना केवल कला की दृष्टि से बल्कि विचारों और मूल्यों की दृष्टि से भी। सशक्त, स्वतंत्र , स्वच्छंद 
 नीना खरे

             बुडापेस्ट हंगरी में जन्मी अमृता के पिता उमराव सिंह भारतीय सिख तथा माता मरिया आंत्वानेत हंगेरियन थी इन्हें बाल्यकाल से ही मानव चित्रण में  विशेष रुचि थी 8 वर्ष की अवस्था में वह पहली बार भारत आई मार्ग में पेरिस होते हुए लुब्र संग्रहालय का भ्रमण किया जहां पर प्रख्यात चित्रकार लियोनार्दो दा विंची का मोनालिसा चित्र भी देखा

https://historyoffineartdk.blogspot.com/2019/11/1913-1941.html
   ब्रह्मचारी

जन्म       1913 बुडापेस्ट हंगरी
मृत्यु        1941 लाहौर
व्यवसाय   चित्रकार

           1924 में भारत प्रवास के दौरान इन्होंने अजंता राजपूत तथा अन्य गुफा चित्रों के संपर्क से जल रंगों में रेखा चित्रों का निर्माण प्रारंभ के दिया था 1929 में वह पुनः पेरिस चली गई जहां पर कला की विधिवत शिक्षा हुई वहां के कला विद्यालय में लुसियां साइमों से कला शिक्षा प्राप्त की इसी बीच भ्रमण के दौरान उन्होंने पिकासो ब्राक पाल सेजान गोगा की कला के संपर्क में आई वह पाल गागीन की ताहिती से विशेष रूप से प्रभावित हुई 1934 में पुनः भारत लौटने पर उन्होंने शिमला में समरहिल नाम पर अपना स्टूडियो स्थापित कर चित्रण कार्य प्रारंभ किया इसी समय पुनः एक बार भारत यात्रा पर निकल पड़ी इस यात्रा में वह बंगाल के रवीन्द्र नाथ टैगोर तथा नंदलाल बसु से प्रेरणा पाकर भारतीय स्त्रियों को एक नई तकनीक में चित्रण प्रारंभ किया जो आगे चलकर भारतीय चित्रकला में उनकी मौलिक पहचान बनी

          उन्होंने अपने पत्र पत्रिकाओं जैसे आर्ट एंड प्रीवियस, इंडियन आर्ट टुडे, ट्रेड्स आफ आर्ट इन इंडिया नामक लेख भी लिखे अमृता के 30 चित्र दिल्ली की आधुनिक कला दीर्घा में तथा शिमला के विमान सुंदरम के व्यक्तिगत संग्रहालय में भी अनेक चित्र संग्रहित हैं 28 वर्ष की अवस्था में 1941 में लाहौर में उनकी मृत्यु हो गई

          अमृता शेरगिल ने अपने लेख में लिखा था कि यदि भारत में गरीबी ना होती तो मेरे लिए पेंट करने को कुछ भी ना होता वह एक संपन्न परिवार में जन्मी थी इसीलिए उनके स्वभाव में भारतीय दयनीय व्यवस्था पर केवल उत्तेजना मात्र थी ना कि भावनात्माक चरित्र, उन्होंने भारतीय जनजीवन के भाव प्रधान विषयों को चित्रित किया जैसे मदर इंडिया, स्त्री, भिखारी, सूरजमुखी आदि अमृता शेरगिल को अजंता एवं एलोरा के चित्र बहुत अच्छे लगे परंतु उन्होंने कहा अजंता उनकी समझ से बाहर की चीज है

https://historyoffineartdk.blogspot.com/2019/11/1913-1941.html
     Ancient Story teller

           अमृता शेरगिल के चित्र में भारतीय जनजीवन के सामाजिक पक्षों को प्रमुखता के साथ चित्रित किया गया है नारी जीवन पर पर्याप्त चित्रण किया है स्त्रियों की मुख्य मुद्रा पर विषाद प्रमुख भाव रहा है जो सभी आकृतियों में लगभग में व्याप्त था इनका प्रिय रंग लाल था भारतीय दृष्टिकोण को अपनी कला की आधारशिला मानती थी अपनी कला चरित्र स्वभाव तथा व्यक्तित्व में अमृता को लंदन निवासी कवि बायरन का भारतीय नारी संस्कृत कहा गया है

अमृता शेरगिल के चित्र 

       बाल वधू, तीन बहने, मदर इंडिया, हिलमैन एंड वूमेन, दक्षिण भारतीय, स्टोरी आफ टेलर, हाथी का स्नान, आराम, हल्दी पिसती औरतें, ब्रह्मचारी, वधू का श्रृंगार, बाजार, गणेश पूजा, झूला, कहानी कहने वाला, चारपाई पर विश्राम करती महिलाएं, हंगरी का बाजार

नोट 

 अमृत अमृता शेरगिल के चित्रों में मुख्य रूप से विषाद के भाव को नारी आकृतियों के चित्र में दिखाया गया है

https://historyoffineartdk.blogspot.com/2019/11/1913-1941.html
 तीन बहने
   

Post a Comment

और नया पुराने