प्रागैतिहासिक काल के चित्र
![]() |
ग्राम जीवन, भीमबेटका |
नोट
पूर्व इतिहास शब्द का पहला प्रयोग डैनियल विल्सन ने 1851 ई0 में किया था
जान लुबाक ने अपनी अपनी पुस्तक प्रागैतिहासिक टाइम्स में सर्वप्रथम पाषाण काल को विभाजित किया
भारत में 1963 ईस्वी में पुरापाषाण कालीन औज़ारों की खोज हुई रॉबर्ट ब्रूस फ़ुट पहले व्यक्ति थी
कला की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, निश्चित रूप से इस विषय में हमारे पास कोई साक्ष्य नहीं है, फिर भी हम यह कह सकते हैं कि मानव जीवन के साथ ही कलाओं का जन्म हुआ होगा। प्रागैतिहासिक मानव की सभी खोज अचानक से हुई, उदाहरण के लिए आग जलाने की खोज, दो पत्थरों को रगड़ते हुए हुई। ऐसी ही कला का ज्ञान हुआ। जहां पर हम रहते हैं उन स्थानों पर पैरों एवं क्रिया कलापों के चिन्ह छोड़ते हैं तथा छाया से भी आकृतियां बनती हुई दिखाई पड़ती है, छाया को देखकर हम उत्सुक हो जाते हैं।
प्रागैतिहासिक काल की कला को तीन भागों में बाँट दिया गया है।
पूर्ण पाषाण काल
मध्य पाषाण काल (25000 से 10000 ईसा पूर्व तक)
उत्तर पाषाण काल ( 10000 से 3000 ईसा पूर्व तक)
नव पाषाण काल की सबसे बड़ी उपलब्धि कृषि का विकास था, खेती में सहायता के लिए घर बनाया और वहीं निवास करने लगा। पहिए के विकास ने मानव विकास के द्वार खोल दिए, वह अब एक स्थान से दूसरे स्थान पर तेजी के साथ जा सकता था, इसका सामाजिक और आर्थिक विकास में लट मिला,
प्रागैतिहासिक काल के मानव ने चाक की सहायता से मिट्टी के सुंदर बर्तन बनाए तथा औजारों को भी परिष्कृत कर आकारों में सुधार किया, इस काल के मानव ने सामूहिक प्रयास से शिकार करना सीखा, चित्रकला का आरंभ इस युग से माना जा सकता है। चित्रों के माध्यम से मानव ने जीवन के कुछ आनंदमयी और भय से युक्त क्षणों को व्यक्त किया है। प्रागैतिहासिक काल की चित्रकला में मानव जीवन के लगभग में सभी पक्ष दर्ज हो गए हैं, जिनका अवलोकन कर आज हम उस स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं,
इस काल के मानव ने औजारों पर पॉलिसी करके और अधिक सुंदर बना लिया था
मध्यप्रदेश के प्रागैतिहासिक काल के चित्र
पंचमढ़ी
भीमबेटका
- nrcert की बुक में गुफाओं की संख्या 750 मानी गई हैं
- 2003 यूनेस्को ने धरोहर सूची में सम्मिलित किया
मंदसौर (सांकेतिक चित्र)
होशंगाबाद (आदमगढ़)
सिंघनपुर
उत्तर प्रदेश के प्रागैतिहासिक स्थल
बाँदा
बिहार के गुहा चित्र
राजस्थान
दक्षिण भारत के प्रागैतिहासिक चित्रों के केंद्र
बेल्लारी
बाईनाड के एडकल
बील्लास रंगम
प्रागैतिहासिक चित्रों की विशेषताएं
चित्रण विषय
चित्रण प्रविधि
प्रागैतिहासिक काल से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
2 सभी प्रागैतिहासिक चित्र गुफाओं की छतों पर वह दीवारों पर बने हैं
3 खनिज रंगों में गेरू रामराज हिरोजी चट्टानी पत्थर खड़िया रासायनिक रंग में कोयला वनस्पतिक रंग में हरे रंग का होना
8 प्रातिहासिक मानव द्वारा जादू टोने में विश्वास के प्रतीक प्राप्त होते हैं जैसे स्वास्तिक चातुष्कोण आदि
9 चित्रों के निर्माण में सीधी सरल एवं लयात्मक रेखाओं का उपयोग किया गया है
पुस्तक
- प्रीहिस्टोरिक इंडिया - स्टुअर्ट पीगाट
- प्रागैतिहासिक काल की चित्रकला - जगदीश चंद्र गुप्त
Nice
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंBahut achha kam kar rhe hai sir
जवाब देंहटाएंBahut badhiya👌👍
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा वर्णन... शानदार 👌
जवाब देंहटाएंIts a good work for art history student
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी है
जवाब देंहटाएंTGT PGT art ki taiyari ke liye sahi hai
जवाब देंहटाएंPrayag Dehati Kal ke Chitron se Aage ke Hath se kal ke Manav ne apni dincharya ke Chitron ko kaha vyakt Kiya
हटाएंPrayag itihasik Kal ke Manav ne apne dincharya ke Chitron ko kahan vyakt Kiya
हटाएंबहुत बढ़िया जानकारी
जवाब देंहटाएंसराहनीय कार्य
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें